कुछ भी तो नहीं रहता
ना आँखें देखती हैं, ना कान सुनते हैं
ना जुबां बोलती है, ना कोई एहसास साथ होता है
सब कुछ ख़त्म हो जाता है, बस एक रूह के जाने से..
मगर फिर भी
जिन्दगी रुक तो नहीं जाती किसी के जाने से
हकीकत बहुत जुदा होती है किसी फ़साने से
कुछ दिन मायूसी कुछ दिनों तक रहती है याद
कुछ दिनों तक हाल बुरा रहता है किसी के जाने के बाद
मगर फिर वही सब पहले की तरह
खाना, सोना,उठाना काम करना, लोगों से मिलना-जुलना
फिर अचानक से होता है एक कमी का एहसास
कुछ लोग जो करीब होते हैं
उन्हें ये कमी खलती है बेहिसाब
साँस अटकी रहती है और जान भी नहीं जाती
ग़मों का टूट पड़ता है सैलाब
सब कुछ ख़त्म हो जाता है बस एक रूह के जाने से..
हकीकत बहुत जुदा होती है किसी फ़साने से
एक सच सामने आता है किसी के जाने से
कुछ भी कर लें लोग बहुत कामयाब बन जायें
कोई भी रोक नहीं सकता मौत को आने से
बस इतना समझ आता है किसी के जाने से
कोई फायदा नहीं इस दुनिया में दिल लगाने से
जिन्दगी रुक तो नहीं जाती किसी के जाने से